डोडाः अब जम्मू-कश्मीर के डोडा में प्रकृति की नाराजगी देखने को मिल रही है। यहां पर भी उत्तराखंड के जोशी मठ जैसी आपदा आई है। डोडा में जमीन धंसने से 21 घरों में दरार आ गई हैं। सूचना पाने पर यहां थथरी के एसडीएम पहुंचे हैं और उन्होंने आपदा से पीड़ित लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचवाया है। घटना के कारणों की जांच के लिए जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम भी डोडा के प्रभावित इलाकों में पहुंच गई है।
- डोडा के डीएम अतहर अमीन जरगर ने बताया कि दिसंबर में एक घर में दरार मिलने की सूचना आई थी
- गुरुवार 1 फरवरी तक 6 इमारतों में ही दरारें दिख रही थीं, लेकिन अब ये दरारें बढ़ रही हैं
- ये इलाका नीचे की ओर जा रहा है और इसका बचना मुश्किल है, इसीलिए सरकार की कोशिश है कि इसे यहीं रोक दिया जाए
- एक चश्मदीद के मुताबिक 15 साल में पहली बार ऐसा देखा गया है, इससे गांव के 50 से अधिक परिवारों में दहशत है
- गुरुवार यानी 1 फरवरी को भूस्खलन के बाद अधिकांश घरों में दरारें आ गईं थीं
- एक ग्रामीण ने बताया कि नई बस्ती को लगभग दो दशक पहले बसाया गया था और यहां पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ था
विशेषज्ञ गांव पहुंचे हैं
डोडा शहर से 35 किमी दूर किश्तवाड़-बटोटे राष्ट्रीय राजमार्ग पर थथरी नाम का गांव है। इसी इलाके के नई बस्ती में मिट्टी के धंसने की घटना दिखी है। धंसने और खिसकने के कारण घरों की दीवारों में दरारें आईं तो छतें और दीवारें गिरने लगी। अधिकारियों ने मिट्टी खिसकने के कारणों की जांच के लिए विशेषज्ञों को गांव भेजा है। लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
दरार आने के बाद अब तक 19 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है। गांव के एक मस्जिद और एक मदरसे को भी खाली कर दिया गया है। वैसे, गांव के कुछ घरों में 2 महीने पहले दरारें आनी शुरू हो गई थीं, लेकिन 1 फरवरी को भूस्खलन से स्थिति और खराब हो गई। फिलहाल, क्षतिग्रस्त इमारतों की संख्या दो दर्जन के आसपास है।
सूचना मिलने के बाद उपायुक्त और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने गांव का दौरा किया। कुछ परिवार जिला प्रशासन के एक अस्थायी आश्रय में गए हैं, जबकि कई अन्य अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं।