अंतराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ माहौल बनाने वाले पाकिस्तान को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है. सऊदी अरब के नेत्त्व वाले OIC में पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के सपने सजाए बैठा था. लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान समेत उनके मंत्रियों की किरकिरी भी हो गई और हर बार की तरह इस बार भी पाकिस्तान को कुछ हाथ नहीं लगा.
पाकिस्तान का फाइनेंसर उससे नाराज चल रहा है. जिसका खामियाजा अब पाक को बुरी तहर भुगतना पड़ रहा है. हाल ही में पाक विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने कश्मीर मुद्दे को लेकर सऊदी अरब को धमकी दी तो सऊदी ने पाकिस्तान को उसका मुंहतोड़ जबाव दिया और पाक को दिया तीन अरब डाॅलर का कर्ज वापस मांग लिया. इस कर्ज में एक अरब डाॅलर के लिए पाकिस्तान ने चीन के सामने हाथ फैलाए और अब बाकी के दो अरब देने के लिए इमरान खान का खजाना खाली हो चुका है. ऐसे में इमरान खान साउदी को मक्खन लगाने का एक भी मौका छोड़ना नहीं चाहते है, लेकिन दिलचस्प बात तो ये है की इतना सब होने के बाद भी पाकिस्तान सऊदी अरब से ये उम्मीद लगाए बैठा है की OIC की बैठक में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा होगी और पाकिस्तान का समर्थन किया जाएगा. जबकि कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब का रूख भारत की ओर है.
दरअसल, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया. जिसमें लिखा था OIC की बैठक में शाह मेहमूद कुरैशी मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने वाले है, जिनमें जम्मू-कश्मीर विवाद शामिल है. साथ ही पाक विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया की कुरैशी पिछले साल अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 हटाने के बाद जम्मू कश्मीर में खराब मानवाधीकार और मानवीय हालात पर चर्चा करेंगे. लेकिन सऊदी अरब के नेतृत्व वाले OIC में इस मुद्दे पर चर्चा की कोई बात सामने नहीं आई और शाह महमूद कुरैशी की जमकर किरकिरी हो गई. क्योंकि कश्मीर मुद्दा OIC की विदेश मंत्रियों की बैठक के एजेंड़े में था ही नहीं.
ओआईसी ने अधिकारिक बयान जारी किया जिसमें कश्मीर मुद्दे का कोई जिक्र नहीं था. ओआइसी के जनरल सेकेट्री के हवाले से कहा गया की विदेश मंत्रियों की बैठक आतंकवाद के खिलाफ शांति और विकास के लिए एकजुट, इसमे यह भी कहा गया है की फिलिस्तीन हिंसा के खिलाफ जंग कट्टरवाद और आतंकबाद, इस्लामोफोबिया और धर्म के अपमान के अलावा काउंसिल मुस्लिम अल्पसंख्यकों और गैर सदस्य देशों के हालात इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस में रोहिंग्याओं के लिए फंड जुटाना जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.
सऊदी अरब और पाकिस्तान के रिश्तों में दरार पड़ चुकी है. पाकिस्तान की लाख कोशिशों के बावजूद कश्मीर मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई, ना ही इस मामले में पाकिस्तान का समर्थन किया गया है. फिर भी इमरान खान को ये बात समझ नहीं आ रही है की ये भारत का आंतरिक मुद्दा है. सऊदी अरब के साथ रिश्ते खराब होने का पाकिस्तान को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. एक तरफ पाकिस्तान कंगाली की मार झेल रहा है और फिर यूएई ने पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों के नागरिकों को बीजा देने पर रोक लगा दी है. फिर भी पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे के पीछे लगा है. इमरान खान को जहां अपने देश की व्यवस्था और कंगाली जैसे हालातों को सुधारना चाहिए, वहां इमरान सरकार भारत के मामलों में दखल दे रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी किरकिरी करवा रहे है.